सभी पासी भाइयों को मेरा नमस्कार, दोस्तों मैं विशाल पासी, आज हम बात करने वाले हैं खैराबाद के संस्थापक और पराक्रमी योद्धा महाराजा खैरा पासी जी के बारे में की उनका शासनकाल कैसा था? और महाराजा खैरा पासी के शासन की क्या विशेषताएं थीं? इन सभी सवालों का जवाब पाने के लिए आप अंत तक जरूर बने रहिए।

पासी समाज का गौरवशाली इतिहास जानें :
महाराजा खैरा पासी:
भारत का इतिहास कई महान योद्धाओं और शासकों की गाथाओं से भरा पड़ा है। इन्हीं में से एक नाम राजा खैरा पासी का है, जो 11वीं शताब्दी में सीतापुर जिले के खैराबाद क्षेत्र के शासक थे। राजा खैरा पासी न केवल एक बहादुर योद्धा थे, बल्कि उन्होंने एक महत्वपूर्ण नगर की स्थापना भी की, जो बाद में इतिहास में एक प्रमुख स्थान बन गया।
इस लेख में हम राजा खैरा पासी के शासन, उनके द्वारा बसाए गए खैराबाद नगर, पासी शासकों के प्रभाव और तुर्क आक्रमण के कारण उनके राज्य के पतन की कहानी को विस्तार से जानेंगे और समझेंगे।
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महाराजा खैरा पासी का शासन और पराक्रम की कहानी को समझें:
महाराजा खैरा पासी 11वीं शताब्दी में उत्तर भारत में पासी समुदाय के एक प्रमुख शासक थे। उनके समकालीन कई अन्य शक्तिशाली पासी शासक भी थे, जैसे महाराजा बिजली पासी और महाराजा सातन पासी। उस समय पासी समुदाय का लखनऊ, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर और लखीमपुर जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर शासन था।
महाराजा खैरा पासी ने अपनी वीरता और प्रशासनिक क्षमता के बल पर एक मजबूत राज्य की स्थापना की। उन्होंने अपने राज्य की सुरक्षा के लिए एक मजबूत सेना तैयार की और अपने लोगों की भलाई के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए।
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खैराबाद: महाराजा खैरा पासी की ऐतिहासिक विरासत
महाराजा खैरा पासी ने खैराबाद (जनपद सीतापुर, उत्तर प्रदेश) नामक नगर की स्थापना की। इससे पहले इस स्थान को “मासी चैत” या “मासी चित्र” के नाम से जाना जाता था और यह हिन्दुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल था।
अंग्रेजी “Gazetteer Province of Oudh” (1877) में इस बात की पुष्टि की गई है कि खैराबाद नगर की स्थापना राजा खैरा पासी द्वारा 11वीं शताब्दी में की गई थी।
ब्रिटिश लेखक G.W. Gayer ने लिखा है कि सीतापुर जिले में यह माना जाता है कि खैराबाद पर कभी पासियों का पूर्ण नियंत्रण था। ब्रिटिश अधिकारी H.R. Neville ने भी अपनी रिपोर्ट में यही लिखा कि खैराबाद को राजा खैरा पासी ने बसाया था।
खैराबाद केवल एक प्रशासनिक केंद्र ही नहीं था, बल्कि यह व्यापार और संस्कृति का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया था।

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तुर्क आक्रमण और राज्य का पतन कैसे हुआ?
11वीं शताब्दी में जब तुर्क आक्रमणकारियों ने भारत में अपने पांव पसारने शुरू किए, तब कई स्थानीय राजाओं को इस चुनौती का सामना करना पड़ा। राजा खैरा पासी भी उन शासकों में से एक थे, जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए तुर्कों से युद्ध किया।
जब तुर्कों ने राजा खैरा पासी को अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए कहा, तो उन्होंने इसे ठुकरा दिया। इसके परिणामस्वरूप, तुर्कों ने खैराबाद पर आक्रमण कर दिया। राजा खैरा पासी ने अपनी सेना के साथ वीरतापूर्वक युद्ध किया, लेकिन अंततः उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा और उन्होंने अपना राज्य खो दिया।
महाराजा खैरा पासी की हार के बावजूद, उनके संघर्ष और वीरता को इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा।
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पासियों का प्रभाव और संघर्ष की कहानी?
महाराजा खैरा पासी के समय में पासी समुदाय उत्तर भारत के कई हिस्सों में शासन कर रहा था। लखनऊ, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर और लखीमपुर जैसे क्षेत्रों में पासी राजाओं का दबदबा था।
हालांकि तुर्कों और राजपूतों के लगातार आक्रमणों के कारण पासियों का शासन धीरे-धीरे कमजोर होता चला गया, लेकिन उन्होंने लंबे समय तक अपने क्षेत्रों में शक्ति बनाए रखी।
आज भी खैराबाद और अन्य क्षेत्रों में पासी शासकों की विरासत के प्रमाण देखे जा सकते हैं।
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निष्कर्ष : महाराजा खैरा पासी जी
महाराजा खैरा पासी न केवल खैराबाद के संस्थापक थे, बल्कि एक वीर योद्धा और कुशल शासक भी थे। उनके शासनकाल में खैराबाद एक संपन्न नगर बना, लेकिन तुर्कों के आक्रमण के कारण उनका राज्य समाप्त हो गया।
हालांकि, उनका नाम आज भी इतिहास में अमर है और पासी समुदाय की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक बना हुआ है। खैराबाद नगर आज भी उनकी वीरता और पराक्रम की याद दिलाता है।
इतिहास में ऐसे योद्धाओं की कहानियां हमें सिखाती हैं कि अपनी संस्कृति और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संघर्ष करना कितना महत्वपूर्ण है। राजा खैरा पासी की गाथा इसी अदम्य साहस और वीरता का उदाहरण है।
इसी प्रकार अपने पासी समाज के गौरवशाली इतिहास को जानने और समझने के लिए PasiSamaj.in के साथ जुड़ें और Comment में लिखें। “जय पासी समाज”
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