आप सभी को जय भीम जैसा कि आप जानते हैं कि हर वर्ष 14 अप्रैल को हम एक महान विचारक, समाज सुधारक, संविधान निर्माता और दलितों के मसीहा बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाते हैं। लेकिन यह दिन केवल फूल चढ़ाने और भाषण देने का नहीं है, बल्कि यह दिन आत्मचिंतन का है — कि आज के समय में हम बाबा साहेब से क्या सीख सकते हैं और कैसे उनके दिखाए रास्ते पर चलकर समाज में बदलाव ला सकते हैं।

एक व्यक्ति जिसने अपना जीवन पूरी जाति के लिए समर्पित कर दिया
डॉ. अंबेडकर का जीवन किसी आम व्यक्ति की तरह नहीं था। उन्होंने एक ऐसे दौर में जन्म लिया जब समाज में छुआछूत, भेदभाव और जातिगत शोषण चरम पर था। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वो जानते थे कि परिवर्तन लाना है, तो सबसे पहले खुद को मजबूत बनाना होगा — और यही उन्होंने किया।
विदेशों में पढ़ाई की, कानून, अर्थशास्त्र और राजनीति में महारत हासिल की, लेकिन उस ज्ञान का उपयोग अपने लिए नहीं, समाज के सबसे पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए किया।
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बाबा साहेब से आज की पीढ़ी को क्या सीखना चाहिए?
1. शिक्षा को हथियार बनाओ:
बाबा साहेब ने कहा था — शिक्षा शस्त्र है, जिससे समाज को बदला जा सकता है। आज भी यही सबसे जरूरी बात है। चाहे कोई भी परिस्थिति हो, हमें शिक्षा को अपनी ताकत बनानी चाहिए। पढ़ो, सोचो, और समाज को जागरूक करो।
2. स्वाभिमान और आत्म-सम्मान के लिए लड़ो:
उन्होंने हर अपमान को चुनौती में बदला। बाबा साहेब ने खुद कहा था- “मैं उस धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे की शिक्षा देता है।”
आज भी हमें अपने स्वाभिमान के लिए खड़े रहना चाहिए, बिना किसी डर या झुकाव के।
3. संविधान और लोकतंत्र में आस्था रखो:
भारत का संविधान हर नागरिक को बराबरी का हक देता है, और यही बाबा साहेब की सबसे बड़ी देन है। आज जब कभी समाज में असमानता या अन्याय दिखाई दे, तो हमें संविधान की ताकत को समझना और उसका उपयोग करना चाहिए।
5. सामूहिक जागरूकता फैलाओ:
बाबा साहेब का सपना सिर्फ अपने लिए नहीं, पूरे समाज के लिए था। उन्होंने हमेशा लोगों को संगठित होकर अधिकारों की लड़ाई लड़ने को कहा। आज सोशल मीडिया, डिजिटल मंच और शिक्षा जैसे माध्यम हैं – जिनका इस्तेमाल समाज को जागरूक करने के लिए होना चाहिए।

समाज के लिए उनका त्याग आज भी मिसाल है
डॉ. अंबेडकर ने अपने निजी जीवन की सारी खुशियाँ त्याग दीं : सिर्फ इसलिए ताकि भविष्य में कोई बच्चा भूख, जाति या अपमान से न लड़े। उन्होंने वो किया जो आज शायद कोई सोच भी नहीं सकता।
वो सिर्फ एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक आंदोलन थे: एक विचारधारा थे, जो आज भी जीवित है।
निष्कर्ष: बाबा साहेब सिर्फ अतीत नहीं, हमारा भविष्य हैं
14 अप्रैल को हमें सिर्फ श्रद्धांजलि नहीं देनी है, बल्कि खुद से सवाल पूछना है:
क्या हम बाबा साहेब के विचारों को जी रहे हैं?
क्या हम शिक्षा, समानता और न्याय को प्राथमिकता दे रहे हैं?
क्या हम अपने समाज को संगठित और जागरूक बना रहे हैं?
अगर इन सवालों का जवाब “हां” में है, तभी हमारी श्रद्धांजलि सच्चे अर्थों में सफल होगी।
लोग बाबा साहब की जयंती को किन अलग अलग तरीकों से मानते हैं ?
14 अप्रैल को भारत में डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती बड़े ही सम्मान और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। इस दिन को “अंबेडकर जयंती” या “भीम जयंती” कहा जाता है। लोग बाबा साहेब की तस्वीर को लेकर कई तरह की गतिविधियाँ करते हैं, जो इस प्रकार हैं:
1. तस्वीर की पूजा और माल्यार्पण
लोग सुबह-सुबह बाबा साहेब की तस्वीर या मूर्ति को साफ करते हैं, उन्हें फूलों की माला पहनाते हैं और अगरबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि देते हैं। कुछ जगहों पर दूध और जल से भी तस्वीर या मूर्ति को स्नान कराया जाता है।
2. झाँकियाँ और शोभा यात्राएँ
कई शहरों और गाँवों में बाबा साहेब की बड़ी-बड़ी तस्वीरों को ट्रकों या रथों पर सजाया जाता है और उन्हें लेकर जुलूस निकाले जाते हैं। इस दौरान नारे, डीजे, बैंड-बाजा और ढोल-नगाड़ों के साथ शोभा यात्रा निकलती है।
3. रैलियाँ और सभाएँ
बाबा साहेब की तस्वीर मंच पर लगाकर जनसभाएँ की जाती हैं, जहाँ उनके विचारों, संविधान में योगदान और समाज सुधार के बारे में भाषण दिए जाते हैं। कुछ जगहों पर पोस्टर-बैनर में उनकी तस्वीर के साथ शिक्षा और समानता पर भी जानकारी दी जाती है।
4. सोशल मीडिया पर तस्वीरें शेयर करना
लोग बाबा साहेब की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं, उनके उद्धरणों के साथ। उनके फोटो पर “जय भीम”, “संविधान निर्माता”, “भारत रत्न” जैसे स्लोगन लिखे होते हैं।
5. घरों और दुकानों में तस्वीर लगाना
इस दिन कई लोग अपने घरों, दुकानों और दफ्तरों में बाबा साहेब की तस्वीर को प्रमुख स्थान पर लगाते हैं और दीप जलाकर उन्हें सम्मान देते हैं।
6. बच्चों में फोटो प्रतियोगिता या निबंध प्रतियोगिता
स्कूलों में बाबा साहेब की फोटो को मंच पर रखकर निबंध लेखन, भाषण और ड्राइंग प्रतियोगिताएँ कराई जाती हैं।
जय भीम।